मिलते ही न ज़ाने कैसे ये शाम हो आती है मिलते ही न ज़ाने कैसे ये शाम हो आती है
मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं। मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं।
इस घर का मौसम पाँच साल से नहीं बदला। इस घर का मौसम पाँच साल से नहीं बदला।
इन नौ मास की जीवन में ना कोई समता है। इन नौ मास की जीवन में ना कोई समता है।
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में